सोमवार, 22 अगस्त 2011

main tumhara hun

मैं तुम्हारा हूँ
जैसे सूर्य ने ऊर्जा और रोशनी सबके लिए
उसी व्यापक रूप में मैं भी तुम्हारा हूँ !
तुम मुझे जानो या न जानो फ़र्क कुछ पड़ता नहीं
जानता हूँ मैं तुम्हे यूँ मैं मैं तुम्हारा हूँ !
तुम मुझे पूजो न पूजो कोई मजबूरी नहीं
गीत गाओ या न गाओ मैं तुम्हारा हूँ !
हाथ फैलाओ न फैलाओ अदेय मैं देता नहीं
गीत गाओ या न गाओ मैं तुम्हारा हूँ !
प्यार करते हो करो वरना गिला कोई नहीं
प्यार की मैं इंतहा हूँ मैं तुम्हारा हूँ !
गालियाँ दो मूर्तियाँ तोडो टूट मैं सकता नहीं
हाथ जोड़ो या न जोड़ो मैं तुम्हारा हूँ !
निस्पृही आकाश हूँ अच्छे बुरे सबके लिए
मानसिकता आँकता हूँ मैं तुम्हारा हूँ !
कौन कैसे कर रहा क्या जानता हूँ मैं
मन के अंदर झँकता हूँ मैं तुम्हारा हूँ !
प्यार की यह संपदा जो मैं सहेजे हूँ
बाँट देता पात्र के अनुरूप मैं तुम्हारा हूँ !
महा गन्धि हर तरह की गंध मेरे पास है
अंजुलि भर भर लुटाता मैं तुम्हारा हूँ !
जान लो इस श्रृष्टि का मैं ही रचियता हूँ
मैने सावरा है तुम्हे यूँ मैं तुम्हारा हूँ !!!!!!!
शिवनारायण जौहरी विमल

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