बुधवार, 24 अगस्त 2011

jeebh kavita

जीभ
महिमा अमित सुनाती जीभ
ममता को दौड़ा- दौड़ा कर
तुतलाते अटपटे बोली में
माँ का प्यार जगाती जीभ !
महिमा------------------------
भुज पाशों में गुंथी हुई सी
प्यार भरे घूँघट के अंगना
पिय से आँख लड़ाती जीभ !
महिमा-------------------------
पायल के छंम-छम नर्तन में
वीणा के तारों पर चलकर
ढोल बजाती गाती जीभ !
महिमा -----------------------
जब बसंत में झुके डालियां
फूल-फूल पर चढे जवानी
मधुरस के घट पीती जीभ!
महिमा---------------------------
सावन में बिछ गई हरियाली
बूँदों की रिमझिम के संग संग
कजरी गाती जाती जीभ !
महिमा-------------------------
रंग गुलाल से सनी बहुरिया
लरिका लरकी करें ठिठोली
नए-नए फाग सुनाती जीभ !
महिमा-------------------------
जब- जब रास रचे जमुना तट
ताली दॅ दॅ नचे गोपिया
मुरली माधुर बजाती जीभ !
महिमा---------------------------
मन में उठते हरेक भाव को
जब तक व्यक्त ना करना चाहे
ताला तुरत लगाती जीभ !
महिमा------------------------
आँखें जो कुछ देख रहीं हैं
भाषा को चित्रों दृश्यों को
सबको पढ़ती जाती जीभ !
महिमा----------------------
गहरे में डूबे हों दो मन
आँखों में आँखें उलझी हों
प ढ़े प्यार की पाती जीभ !
महिमा------------------------------
उलझे जब काँटों में मैत्री
हो आक्रोश चरम सीमा पर
सुलझी राह दिखाती जीभ !
महिमा---------------------------
ह्रदय चीर कर रख देती है
घाव नहीं भर पाते बरसों
अगर सख़्त हो जाती जीभ !
महिमा--------------------------
उखड़ी हो या सख़्त ज़मी हो
सब हमवार बनाती जीभ !
प्यार की जोत जगाती जीभ !
महिमा----------------------------------
बेज़ुबान के जुबा लगाकर
मुई सांस से सार भस्म कर
नई मशाल जलाती जीभ !
महिमा----------------------------!!!!!!!
शिवनारायण जौहरी विमल

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