सोमवार, 22 अगस्त 2011

jaagte raho

जागते रहो
नवीन कल्पना करो
प्रबुद्ध योजना करो
अखंड साधना करो
मातृ वंदना करो
\
नित नवींन भव्य भव्य मूर्तियाँ गढो
रोज़ नये शिखर नई सीढीयाँ चढो
द्रोह दाह दग्ध करो ताप तम हरो
मातृ वंदना करो
जवान जागते रहो !
प्यास के प्रकाश मैं बढा चलो कदम
जल प्रपात ढूंड कर रहेंगे आज हम
तास के प्रवाह में उछाह तो भरो
मातृ वंदना करो
जवान जागते रहो
टूट रहीं झोपड़ी उठ रहे भवन
लो नया मिलिनियंम कर रहा नमन
हिंम किरीट की चमक दिगान्त में भरो
मातृ वंदना करो
जवान जागते रहो !
तुम अदम्य शक्ति के अजेय पूत हो
न्याय के अमन के तुम राजदूत हो
मातृ वंदना करो
जवान जागते रहो
झूम रहे भेड़िए सरहदों के पार
नींद आ न जाए कहीं प्रहरी को यार
मातृ वंदना करो
जवान जागते रहो !!!!!!!!!!
शिव नारायण जौहरी विमल

कोई टिप्पणी नहीं: