नई गुलामी
पंद्रह अगस्त को
हुई सफल कुर्बानी
लिखने लगे नये भारत की
गौरव भरी कहानी !
किंतु आज धूमिल हो गये हैं
उज्जवल सपान सुहाने
निज स्वार्थ में डूब गये हैं
हम जाने अंजाने !
ह्मने एक विधान बनाया
हम उस ही के दास
फूँक नहीं सकते नाव जीवन
यह कैसा उपहास !
वोट दिया मालिक की हो गई
पाँच बरस की छुट्टी
लिए डोलता रोज हाथ में
अधिकारों की मिट्टी !
चोरों को दी चोकीदारी
यह कैसी लाचारी
अरबों खरबों के घपले हैं
लूटी संपदा सारी !
रंग बदलो या मौज मनाओ
लूट सोना चाँदी
मालिक है मजबूर देखकर
भी अपनी बर्बादी !
संविधान हथकड़ी बन गया
सत्ता की बन आई
प्रभुसत्ता है कहाँ इसी की
देते रहो दुहाई !
जागो देश के युवा तुम्ही को
फिर देना है कुर्बानी
भ्रष्टाचार दफ़न करके लिखना है
नई कहानी !!!!!!!!!!!
कवि-शिव नारायण जौहरी विमल
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