यादें Patni ( smt swaraj Johri) ki yaadein
प्यार की अंतिम निशानी
सामने की बर्थ पर लेती हुई
अपनी छाती दबाए हाथ से
बुदबुदा कर कहा था मुझसे
गिर नहीं जाना
करवट बदलते समय
चोट लग जाएगी
सामान है नीचे
थकी आँखें झपकने लगीं थीं
नींद ले जाने लगी मुझको
और चिर निद्रा
उड़ा ले गई तुमको
रेल चलती रही अपनी चल से
निस्पृही हो कर !!!!!
श्री शिव नारायण जौहरी 'विमल'
प्यार की अंतिम निशानी
सामने की बर्थ पर लेती हुई
अपनी छाती दबाए हाथ से
बुदबुदा कर कहा था मुझसे
गिर नहीं जाना
करवट बदलते समय
चोट लग जाएगी
सामान है नीचे
थकी आँखें झपकने लगीं थीं
नींद ले जाने लगी मुझको
और चिर निद्रा
उड़ा ले गई तुमको
रेल चलती रही अपनी चल से
निस्पृही हो कर !!!!!
श्री शिव नारायण जौहरी 'विमल'