मंगलवार, 19 नवंबर 2013
रविवार, 4 अगस्त 2013
ek kavita mere pita ke liye
संशोधित कविता ( पिता के लिए कविता )
मेरे पिता
भाव शांत और ह्रदय सुकोमल
सदा विचार मग्न मुद्रा
शूर, साहसी तेज़ पुंज
आभा युक्त मुखमंडल
ऐसा है व्यक्तित्व पिता का !
अनुशासित जीवन
आदर्शों से ओतप्रोत
न्याय दान में निडर रहे हैं
मेरे न्यायधीश पिता !
स्वातन्त्र्य वीर सेनानी
छुआ छू त और
भेद भाव से दूर
सदा समभाव प्रणेता
रहे हमारे पूज्य पिताजी !
छोटे छोटे कामों से
भी कभी न झिझके
दौड़ समय के साथ
कष्टों का विषपान किया खुद
सबको सुख का अमृत पान
करा देने के खातिर !
जियो आत्म -- सम्मान सहित
पर सहनशील व्यवहार हमेशा
करो परिश्रम
अंधियारों से हार न मानो
मूल मंत्र हैं जिनके
ऐसे हैं वे पिता हमारे !
एक हाथ कानून और
और दूजे में साहित्य भिरूची है
दोनों में कर रहे
निरंतर ग्रन्थ प्रकाशन
एल एल ऍम
साहित्य -रत्न की
उपाधियों का मान रख रहे
शिक्षा की महत्ता दर्शा कर
स्वावलंबी होना सिखलाया !
मृदु --वचनों से आकर्षित कर
दुश्मन को भी दोस्त बनाया
सहज , सरल जीवन अपनाया
अबला को सबला रूप बताकर
नारी --शक्ति की महिमा जतलाई !
ऐसे प्रखंड , प्रबुद्ध बुद्धिशाली
दूरदर्शी पिता के आशीषों से
तृप्त हुई उनकी संतानें सारी
कहाँ तक इनके गुण गिनवाएं
ख्याति हर दिन बढती जाए
साया जब तक साथ रहेगा
बच्चों को सुख का अहसास रहेगा !!!!
मधु प्रधान (18-2-2013)
रविवार, 24 फ़रवरी 2013
Bund kavita
बूँद
अपरिमित शक्ति और विस्तार का
मात्र कुछ आभास देने के लिए
दूत अपना बनाकर
एक बूँद को प्रति रूप दे
भेजा धरा पर !
नहीं थे हाथ उसके पैर उसके
न लंबाई न चौड़ाई
न है कोई आकार उसका
देखा जा नहीं सकता
किसी भी यंत्र से जिसको
छू नहीं सकता जिसे कोई
उस बिंदू के अस्तित्व को
सार्वभौमिक मान्यता
आस्था विश्वास ने दी थी !
बूँद ने जन्म रेखा को दिया
जो किसी को दिख नहीं सकती
क्यूंकी चौड़ाई दी ही नहीं उसने !
बूँद की उस अद्रष्य उंगली ने
बुन कर रख दिया ज्ञान
और विज्ञान का संसार सारा
गणित भूगोल का विस्तार
कला और संगीत प्यारा !
हरेक कन में व्याप्त होकर
रचना पर नियंत्रण
कर रहा है वह !!!
शिवनारायण जौहरी 'विमल'
मंगलवार, 29 जनवरी 2013
Aaj ka Ravaan
आज का रावण
लंकेश ने सीता को कभी छुआ तक नहीं
राजा नहीं है भेड़िया है आज का रावण
सीता को लेने परदेस से आया था रावण
इस देश में ही रहने लगा आज का रावण
प्रतिकार के ही भाव से सीता हरी गई
अँधा हुआ है वासना से आज का रावण
वाज जैसा झपटता है अपने शिकार पर
ख़ूँख़ार परिंदों से होड़ कर रहा रावण
बीस खूनी पंज़ों से कोई कहाँ तक लड़े
दस दरिंदे मिल के बने हैं आज का रावण
जब चाहें जहाँ प्रकट हो जाता है दरिन्दा
क़ानून से मरता ही नहीं आज का रावण
शेर आदमख़ोर हो तो उसको मार देते हैं
सज़ाए मौत का हकदार है आज का रावण !!!!!!!!
शिवनारायण जौहरी 'विमल'
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लंकेश ने सीता को कभी छुआ तक नहीं
राजा नहीं है भेड़िया है आज का रावण
सीता को लेने परदेस से आया था रावण
इस देश में ही रहने लगा आज का रावण
प्रतिकार के ही भाव से सीता हरी गई
अँधा हुआ है वासना से आज का रावण
वाज जैसा झपटता है अपने शिकार पर
ख़ूँख़ार परिंदों से होड़ कर रहा रावण
बीस खूनी पंज़ों से कोई कहाँ तक लड़े
दस दरिंदे मिल के बने हैं आज का रावण
जब चाहें जहाँ प्रकट हो जाता है दरिन्दा
क़ानून से मरता ही नहीं आज का रावण
शेर आदमख़ोर हो तो उसको मार देते हैं
सज़ाए मौत का हकदार है आज का रावण !!!!!!!!
शिवनारायण जौहरी 'विमल'
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